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Friday, March 20, 2020

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Benefits of pottery

Benefits of Pottery 

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के फायदे:- (माटी से पुनः उपजता प्रेम)

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मिट्टी के बर्तन अपनाओ 

स्वास्थ्य को बेहतर बनाओ

आधुनिक समाज में भागदौड़ वाली जीवनशैली ने हमारे रहन-सहन के तरीके को प्रभावित किया है। यह बदलाव समाज में हो या हमारे अपने रसोईघर में। 


आधुनिक युग में रसोई घर में खाना पकाने से संबंधित विभिन्न उपकरणों एवं बर्तनों का प्रयोग किया जाता है। उपकरण एवं बर्तन हमारे काम को आसान बनाते हैं लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।

प्राचीन समय में खाना पकाने के लिए घरों में मिट्टी से बने बर्तनों का प्रयोग किया जाता था। मिट्टी के बर्तनों में बना खाना हमारी सेहत के लिए लाभदायक होता है, लेकिन जैसे-जैसे नई तकनीकी का हमारे जीवन में आगम हुआ वैसे वैसे हम इन लाभदायक चीजों से दूर होते गए और आधुनिकता की दौड़ में हम सब शामिल होते चले गए।

विगत कुछ वर्षों में लोगों के नजरिए में परिवर्तन आया और पुनः मिट्टी के बर्तन लोकप्रिय होने लगे हैं।


मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रक्रिया:-

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मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रक्रिया दो प्रकार की है :-

  1. कुम्हार के हाथों बनने वाले मिट्टी के बर्तन 
  2.  फैक्ट्री में बनने वाले मिट्टी के बर्तन

कुम्हार के हाथों बनने वाले मिट्टी के बर्तन:-.  इस प्रक्रिया में कुम्हार मिट्टी के बर्तनों को चाक पर बनाता है और फिर उन्हें देर तक भट्टी में पकाया जाता है। भट्टी में पकाने की प्रक्रिया बर्तनों को मजबूत बनाती है।

फैक्ट्री में मशीनों द्वारा बनने वाले मिट्टी के बर्तन :-इस प्रक्रिया में फैक्ट्री में पहले से बने हुए सांचो में मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं और उन्हें पकाने का काम भी मशीन ही करती है।

हाथों से बनाए गए बर्तनों की अपेक्षा मशीन से बने बर्तन दिखने में थोड़े ज्यादा आकर्षक हो सकते हैं लेकिन दोनों ही बर्तनों में फर्निशिंग बेहतरीन होती है।


मिट्टी के बर्तनों के प्रकार:-


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समय के साथ बढ़ती मांग की वजह से मिट्टी के बर्तनों की वैरायटी में भी इजाफा हुआ है। पहले जहां सिर्फ मिट्टी की हांडी और मटके ही मिलते थे अब ऐसा कोई बर्तन नहीं है, जो मिट्टी से ना बनाया जा रहा हो। कटोरी, प्लेट ,कढ़ाई , तवा,चम्मच ,गिलास,फ्राई पैन ,बोतल , प्रेशर कुकर और यहां तक कि मिट्टी के फ्रिज भी मिलने लगे हैं।

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के फायदे:-


स्वास्थ्यवर्धक:-. हमारे शरीर को रोजाना कई प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है जो मिट्टी के बर्तनों में बने खाने से आसानी से मिल जाती है। इन सूक्ष्म पोषक तत्वों में कैल्शियम, मैग्नीशियम ,सल्फर ,आयरन, सिलिकॉन ,कोबाल्ट, जिप्सम आदि शामिल होते हैं। वही प्रेशर कुकर या अन्य धातु वाले बर्तनों में भोजन पकाने से यह सारे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसीलिए मिट्टी के बर्तन में खाना बनाना चाहिए।

मिट्टी के बने तवे पर पकी रोटी खाने से हमारी कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।

सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट नहीं होते :- एलमुनियम के बने प्रेशर कुकर में बनी दाल और सब्जी के 87% पोषक तत्व एलमुनियम द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। जबकि मिट्टी के बर्तन में बनी दाल और सब्जी में 100% सूक्ष्म पोषक तत्व रहते हैं। इसीलिए अब डॉक्टर भी मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने की सलाह देने लगे हैं।

भोजन स्वादिष्ट बनता है :- मिट्टी के बर्तन में बना खाना स्वादिष्ट होता है क्योंकि इसे कम आच पर पकाया जाता है। जिससे इसमें ना सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ता है बल्कि यह सही और बेहतर ढंग से पकने के कारण सेहत के लिए भी अच्छा होता है।

पर्यावरण के लिए सुरक्षित:- मिट्टी के बर्तन हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं क्योंकि मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने लायक नहीं रहते हैं तब उन्हें आसानी से नष्ट किया जा सकता है। उनके इस प्रकार से नष्ट करने से हमारे पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता है।  जैसे  चाय की दुकानों में प्रतिदिन हजारों की मात्रा में प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल होता है जो हमारे स्वास्थ्य और हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है। यदि इसकी जगह पर मिट्टी के बने कुल्हड़ का इस्तेमाल किया जाए तो चाय तो पीने में स्वादिष्ट लगेगी ही और हमारा पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

कम वसा का इस्तेमाल:- मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने के लिए कम तेल का इस्तेमाल होता है।  बर्तन की अपनी नमी खाना पकाने में मदद करती है इससे हमारी बॉडी में भी कम वसा का सेवन होता है। और हम कोलस्ट्रोल जैसी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं

मिट्टी के बर्तनों का रखरखाव एवं सफाई:-मिट्टी के बर्तनों के रखरखाव के बारे में लोगों को सही जानकारी नहीं है इसके कारण वह इन बर्तनों को खरीदने से हिचकते हैं। जबकि मिट्टी के बर्तनों को धोना बहुत ही आसान है। मिट्टी के बर्तनों को धोने के लिए हमें किसी भी डिटर्जेंट पाउडर या केमिकल की आवश्यकता नहीं होती है। मिट्टी के बर्तनों को केवल गर्म पानी से धोकर सुरक्षित रखा जा सकता है।





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