Aarti Sangrah in Hindi: आरती श्री हनुमान जी की, गणेश जी, लक्ष्मी जी, जगदीश जी, शिव जी, कृष्ण जी, रामायण जी की - DailyNewshunt

News in Hindi,English,Health,Homemade Remedies, Education,Life Style and Spiritual View

Featured

Thursday, July 22, 2021

demo-image

Aarti Sangrah in Hindi: आरती श्री हनुमान जी की, गणेश जी, लक्ष्मी जी, जगदीश जी, शिव जी, कृष्ण जी, रामायण जी की

Aarti Sangrah in Hindi: आरती श्री हनुमान जी की, गणेश जी, लक्ष्मी जी, जगदीश जी, शिव जी, कृष्ण जी, रामायण जी की



गणेश जी की आरती Ganesh ji ki Aarti

photo-1607604760190-ec9ccc12156e
Ganesh ji

जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा।  माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा।।


एकदंत,दयावन्त,चार भुजाधारी, माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी। जय गणेश....  


पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा।। जय गणेश...


अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया। जय गणेश....


दीन-दुखियन की लाज रखो,शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।।सूर'श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।। जय गणेश...


राम भक्त हनुमान जी की आरती Hanuman ji ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की।                   दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥                           जाके बल से गिरिवर कांपे।                          रोग दोष जाके निकट न झांके॥                       अंजनि पुत्र महा बलदाई।                            सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥आरती कीजै....

दे बीरा रघुनाथ पठाए। 
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। 
जात पवनसुत बार न लाई॥आरती कीजै.....


लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। 
आनि संजीवन प्राण उबारे॥आरती कीजै....


पैठि पाताल तोरि जम-कारे। 
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे। 
दाहिने भुजा भक्तजन तारे॥आरती कीजै...


सुर नर मुनि आरती उतारें। 
जय,जय,जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। 
आरती करत अंजना माई॥आरती कीजै....


जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
आरती कीजै हनुमान लला की। 
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥


बोलो सियावर रामचन्द्र जी की जय,
पवनसुत हनुमान की जय,
बजरंग बली की जय, 
कष्ट निवारक हनुमान जी की जय

लक्ष्मी माता जी की आरती    Laxmi ji ki Aarti

download


ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ मैया जय लक्ष्मी माता॥


उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ मैया जय लक्ष्मी माता॥


दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ मैया जय लक्ष्मी माता॥


तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥मैया जय लक्ष्मी माता॥


जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ मैया जय लक्ष्मी माता॥ 


शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ मैया जय लक्ष्मी माता॥


महा लक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता। उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥मैया जय लक्ष्मी माता॥


रिद्धि-सिद्धि दात्री  लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।



आरत ओम जय जगदीश हरे Jagdish(Vishnu) Ji ki Aarti

images


ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ॐ जय जगदीश हरे..॥


जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे-2,कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा-2,आस करूं मैं जिसकी ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर-2,तुम सब के स्वामी ॥  ॐ जय जगदीश हरे..॥


तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,  स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख खलकामी-2, कृपा करो भर्ता॥  ॐ जय जगदीश हरे..॥


तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,  स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय-2, तुमको मैं कुमति ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे,।  स्वामी रक्षक तुम मेरे । अपने हाथ उठाओ,अपने शरण लगाओ,  द्वार पड़ा मैं तेरे ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वामी पाप (कष्ट) हरो देवा । श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ- 2, करूं मैं सन्तन की सेवा ॥


ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे ॥


अम्बे गौरी मैया, दुर्गा जी की आरती


ऒम जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी। तुमको निशिदिन ध्यावत हरि, ब्रह्मा, शिव जी ॥टेक॥


 

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...


 
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गले माला कंठन पर साजै ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...


 
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।             सुर-नर, मुनिजन
 सेवत तिनके दुःखहारी ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...


 
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।    कोटिक
 चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...॥


 
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती । धूम्र
 विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...


 
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।  बाजत
 ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...


 
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...


 
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।    श्री
 मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...


 

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥ऒम जय अम्बे गौरी ...




  श्री कृष्ण भगवान की आरती Shri Krishna ji ki Aarti


photo-1590228947699-5f1fa1d86458


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजन्तीमाला, बजावैं मुरलि मधुर बाला॥
श्रवण में कुंडल झलकाता, नंद के आनंद नन्दलाला की। आरती...।


गगन सम अंगकान्ति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक। चंद्र-सी झलक, ललित छबि श्यामा प्यारी की। आरती...।


कनकमय मोर मुकुट बिलसैं, देवता दरसन को तरसैं।
गगन से सुमन राशि बरसैं, बजै मुरचंग मधुर मृदंग।
ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की। आरती...।



 जहां से प्रगट भई गंगा, कलुष कलिहारिणी गंगा।
स्मरण से होत मोहभंगा, बसी शिव शीश जटा के बीच। हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की। आरती...।


चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही बृंदावन बेनू।
चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु, हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।
कटत भवफन्द टेर सुनु दीन दुखारी की। आरती...। 


भोले नाशिव जी की आरती

photo-1549083449-aa6e43965934


ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥


एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥


दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥


अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥


श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥


कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥


लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥



आरती श्री रामायण जी की

download+%25281%2529


आरती श्री रामायण जी की

कीरत कलित ललित सिय पिय की।

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद

बाल्मीक विज्ञानी विशारद।

शुक सनकादि शेष अरु सारद

वरनि पवन सुत कीरति निकी।। आरती श्री ..

संतन गावत शम्भु भवानी

असु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।

व्यास आदि कवि पुंज बखानी

काक भूसुंडि गरुड़ के हिय की।। आरती श्री ….

चारों वेद पुराण अष्टदस

छहो शास्त्र ग्रंथन को सब रस।

तन,मन, धन संतन को सर्वस 

सार अंश सम्मत सब ही की।। आरती श्री …

कलिमल हरनि विषय रस फीकी

सुभग सिंगार मुक्ती जुवती की।

हरनि रोग भव भूरी अमी की

तात मात सब विधि तुलसी की ।। आरती श्री  ….








No comments:

Post a Comment

right column

bottom post

Pages