माता कुष्मांडा
माता कुष्मांडा
नवरात्र पूजन के चौथे दिन देवी के कुष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है। माता का यह नाम 3 शब्दों से मिलकर बना है। 'कु 'अर्थात छोटा, ' ष ' अर्थात ताप, ऊर्जा एवं 'अंडा ' अर्थात ब्रह्मांड। ब्रह्मा जी ने ब्रह्माण्ड की रचना एक छोटे से अंडे के रूप में की थी इसलिए माता का नाम कुष्मांडा पड़ा।माता का स्वरुप
माता कुष्मांडा को अष्ट भुजाधारी कहा गया है. माता के चार हाथों में अस्त्र-शस्त्र अन्य चार हाथों में कमल,कमण्डल तथा अमृत का घड़ा होता।
पूजन सामग्री
माता की पूजन सामग्री में मालपुआ का विशेष महत्व है। माता को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए।
उपासना का महत्व
माता के इस रूप की उपासना से उपासक के समस्त रोग ,दुःख दूर हो जाते है। उपासक के कार्य ,व्यापार में वृद्धि होती है।
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