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Friday, March 27, 2020

नवदुर्गा :--माता शैलपुत्री

नवरात्री में माता के नौ रूपों की   उपासना की जाती है। माता के  नौ रूप निम्न है:

1 माता शैलपुत्री ,  2 माता ब्रह्मचारिणी ,3  चंद्रघंटा ,

4 माता कूष्माण्डा ,5 माता स्कन्द ,6 माता कात्यायनी 

7 माता कालरात्रि , 8 माता महागौरी , 9 माता सिद्धिदात्री 

 


माता शैलपुत्री


  नवरात्र व्रत के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है। पर्वतराज की पुत्री होने के कारण माता के इस प्रथम रूप का नाम शैलपुत्री पड़ा।
 पूर्व जन्म में इनके पिता राजा दक्ष थे। राजा दक्ष ने प्रदेश होने पर यज्ञ किया। पर अपने दामाद शिव को निमंत्रित नहीं किया।
 भगवान शंकर की स्वीकृति के बिना सती पिता के यहां चली गई। यज्ञ स्थल पर तिरस्कार से कुपित सती यज्ञ की अग्नि में कूद पड़ी। उधर शिव की समाधि भंग हुई तो शिव जी यज्ञ स्थल पर आये  और क्रोध वश यज्ञशाला का विध्वंस कर दिया। और सती के जलते शरीर को लेकर चल पडे ।
 धरती पर सती के अंग जहाँ - जहाँ  गिरे, वहां- वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए।

उपासना मंत्र


  ' ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै  नमः।'

माता का स्वरुप 

शैलपुत्री मत सम्पूर्ण आभूषणों से सुसस्जित है। माता  दाहिने हाथ में त्रिशूल एवं बाएं हाथ में कमल पुष्प है। माता का वाहन वृषभ हैं।

आराधना का  महत्व 

    माता की पूजा करने से उपासक की सभी आसुरी वृतियो का नाश होता है।  मनुष्य के जीवन में सदाचार तथा स्थिरता आती है। 

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