ब्रह्मचारिणी माता
नवरात्री में माता के नौ रूपों की उपासना की जाती है। माता के नौ रूप निम्न है:-
1 माता शैलपुत्री , 2 माता ब्रह्मचारिणी ,3 चंद्रघंटा ,
4 माता कूष्माण्डा ,5 माता स्कन्द ,6 माता कात्यायनी,
7 माता कालरात्रि , 8 माता महागौरी , 9 माता सिद्धिदात्री
/
ब्रह्मचारिणी माता
मां शैलपुत्री ने नारद जी को नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की मां भगवती ने सैकड़ों वर्षों तक जमीन पर रहकर केवल फल फूल खाकर तपस्या की। इस कठिन तपस्या के कारण मां शैलपुत्री को ब्रह्मचारिणी के रूप में जाना गया पूर मां ब्रह्मचारिणी का कोई वाहन नहीं है।माता का स्वरूप
माता के दाएं हाथ में जाप माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है।
आराधना का महत्व
माता के इस रूप की उपासना से मनुष्य में तप त्याग सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन से कठिन समय में भी इसका मन विचलित नहीं होता है। देवी अपने साधकों के सभी दोषों को खत्म करती है। देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
पूजन सामग्री
माता के ब्रह्मचारिणी रूप को चीनी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मणों को भी चीनी का ही दान करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment