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Sunday, April 26, 2020

World's staggering economy विश्व की डगमगाती अर्थव्यवस्था


World's staggering economy

 विश्व की डगमगाती अर्थव्यवस्था


"कोरोना का हाहाकार लाखों हुए बेरोजगार"




World's staggering economy
World's staggering economy

कोरोना वायरस(COVID-19) इस सदी के ऐसे भयानक WAR वायरस के रूप में उभरा है जिसने पूरी दुनिया को अपने वश में कर लिया है ।

कोरोना से त्रस्त दुनिया के सभी देशों में हाहाकार मचा हुआ है। चाहे वह मरीजों की संख्या को लेकर हो या फिर अर्थव्यवस्था को लेकर हो। कोरोना वायरस से लड़ने  के लिए दुनियाभर के देशों में जो lock down  हुआ है उसकी वजह से प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है।

 पिछले कुछ महीनों से लगातार लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियां सीमित होने के कारण अब इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी नजर आने लगा है। कोरोना की वजह से दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार देशों में करोड़ो नागरिको के  रोजगार पर संकट आ गया हैं।

इन देशों के श्रम, रोजगार, सांख्यिकी और उद्योग विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आने वाले महीनों में भी हालत इसी तरह जटिल बनी रह सकती है।


Economic knockdown
Economic Lockdown 



 दुनिया के तमाम विकसित देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जर्मनी इत्यादि ऐसे देश हैं जो कोरोना(COVID-19) की वजह से अर्थव्यवस्था के संकट से गुजर रहे हैं।इन देशों में  कार्यरत लाखों कर्मचारियों के रोजगार पर संकट आ चुका है।

अमेरिका कहने के लिए तो अमेरिका एक बहुत ही विकसित देश है जो दुनिया भर में अपना परचम लहरा रहा था।मगर इन दिनों वह भी कोरोना संक्रमण से बुरी तरह परेशान हो गया है। 

कोरोना वायरस(COVID-19)  की वजह से ठहर गई है अमेरिका की आर्थिक गतिविधियां। अमेरिका में होटल और रेस्टोरेंट में काम करने वाले हजारों लोगों की नौकरियां तो पहले ही खत्म हो चुकी थी लेकिन अब फैक्ट्रियों व निर्माण इकाइयों पर इसका असर शुरू हो चुका है। 

यहां बेरोजगारी की दर बढ़कर 16% पहुंच चुकी है जो 1933 के महामंदी काल के 24.9 प्रतिशत के बाद सर्वाधिक है। अप्रैल का महीना खत्म होने तक बेरोजगारी 20% तक पहुंच सकती है।

पिछले दो हफ्तों से 96 लाख अमरीकी नागरिकों की  नौकरियां जा चुकी हैं और  सभी बेरोजगार सरकार की शरण में आ गए है । यहां की सरकार के अनुसार बेरोजगारी सुविधाओं के लिए बीते 5 हफ्ते में 2.80 करोड़ लोग दावा कर चुके हैं।

 पीयू रिसर्च सेंटर के अनुसार अमेरिका में कार्यरत कर्मचारियों में प्रत्येक 3 कर्मचारियों में से एक के वेतन में कटौती होगी या उसे नौकरी से भी निकाला जा सकता है ।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि 3 महीने तक इस वायरस का असर रहता है या अर्थव्यवस्था की गति धीमी रहती है तो 3 करोड अमेरिकी अपनी नौकरी गंवा सकते हैं।

 विकसित देशों की श्रृंखला में ब्रिटेन का नाम भी आता है। ब्रिटेन भी इन दिनों अर्थव्यवस्था के इतने बुरे हालात से गुजर रहा है कि वहां के लोगों की नौकरियों पर भी संकट आ चुका है ।

रिसर्च एजेंसियों का दावा है कि lockdown  के बाद बेरोजगारी दर दोगुनी हो चुकी है। 33% तक उद्योग धंधे बंद हो चुके हैं ।जीडीपीGDP में 35% की कमी का अनुमान है ।कोरोना संकट  की वजह से  विश्व भर में  जो गिरावट अभी देखी जा रही है  इतनी गिरावट तो  विश्व युद्ध के बाद 1920 से 26 में और महामंदी के बाद 1929 से 33 में भी नहीं थी.



 ब्रिटेन की कई साल पुरानाी  मल्टीनेशनल डिपार्टमेंटल स्टोर डेबनहम्स के 142 स्टोर बंद हो चुके हैं।उसके 22 हजार  कर्मचारियों को सरकार की तरफ से  स्कीम के तहत पैसा दिया जा रहा है जिससे उनकी नौकरी ना जाने पाए।फिर भी 7 स्टोर हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं। 

ब्रिटेन में विभिन्न स्टोर्स में काम करने वाले करीब 20 लाख लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और होटल और रेस्टोरेंट में कार्य करने वाले करीब 13 लाख कर्मचारियों ने भी अपनी नौकरी गंवा दी है।

जापान एवं दक्षिण कोरिया जैसे देश भी कोरोना महामारी में अर्थव्यवस्था की गिरती हालत को लेकर चिंतित हैं।

जापान में फरवरी में  लगभग 4 लाख कर्मचारी बेरोजगार हो गए और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। कोरिया में भी दक्षिणी कोरिया में भी मार्च के महीने में देश के कुल 2.6 करोड़ लोग बेरोजगार थे। इस बेरोजगारी में स्थाई और अस्थाई दोनों प्रकार की नौकरियां घटी हैं।

यूरोप महाद्वीप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहे जाने वाले जर्मनी में भी कोरोना वायरस के दौरान हुए लोग डाउन में अर्थव्यवस्था की गति लड़खड़ा गई है जिसके चलते 6.5 लाख उद्योगों ने अपने आप को जीवित रखने के लिए सरकार से मदद मांगी है ।

 जर्मनी में कोरोना वायरस की मार सबसे ज्यादा ऑटो सेक्टर में पड़ी है। ऑटो सेक्टर में एक लाख नौकरियां गई और 8.5 लाख संकट में हैं। जर्मनी में कार का उत्पादन भी 15% घटा है।

भारत की हालत सबसे ज्यादा खराब है यहां पर बेरोजगारी 26% है। कोरोना वायरस के दौरान हुए लोग डाउन से भारत में अप्रैल के तीसरे हफ्ते में बेरोजगारी दर 26.2% पहुंच गई है जो कि मार्च में 8.4% थी।

 ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत के ग्रामीण हिस्से में भी बेरोजगारी दर दहाई अंक तक पहुंच चुकी है जो कि ऐसा पहली बार हुआ है।आकलन है कि अब तक देश में 14 करोड़ लोग अपना काम धंधा गंवा चुके हैं।कोरोना वायरस के कारण कृषि संबंधित सभी गतिविधियां भी थम गई इसका कारण यही माना जा रहा है।

Economic fall


 सीआईआई के सर्वे के अनुसार 52 प्रतिशत कंपनियां मान रही हैं कि नौकरियों में 30% तक कमी आ सकती है मजदूर वर्ग में अब तक डेढ़ करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा था जो अब घटकर 9000000 ही रह गया है।

 विश्व भर के देशों की अर्थव्यवस्था के गिरने का महत्वपूर्ण कारण है कि देशभर  में उत्पादन घटना, औद्योगिक गतिविधियां रुकना और सामान्य सामान्य खरीदारी पर रोक लोगों के बाहर घूमने फिरने पर रोक जिससे रेल यातायात, वायुयान आदि पर बुरा असर पड़ा है।




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