पंचायत समिति का चुनाव, शपथ ग्रहण, बैठक, समितियां एवं कार्य (Panchayat Samiti )
पंचायत समिति, भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह एक तहसील के सभी गाँवों के लिए कार्य करता है। इसको प्रशासनिक खंड भी कहते हैं।
यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है। इस संस्था का विभिन्न राज्यों में भिन्न नाम हैं। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में इसे मंडल प्रजा परिषद, गुजरात में तालुका पंचायत और कर्नाटक में मंडल पंचायत के नाम से जाना जाता है।
यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है। इस संस्था का विभिन्न राज्यों में भिन्न नाम हैं। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में इसे मंडल प्रजा परिषद, गुजरात में तालुका पंचायत और कर्नाटक में मंडल पंचायत के नाम से जाना जाता है।
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अन्तर्गत पंचायत समिति का महत्वपूर्ण स्थान हैं। पंचायत समिति का गठन प्रखंड स्तर पर होता है। ग्राम पंचायत की तरह प्रत्येक पंचायत समिति का प्रादेषिक निर्वाचन क्षेत्र होता है, जो लगभग 5000 की आवादी पर होता है।
पंचायत समिति का चुनाव
इस समिति का चुनाव पाँच वर्षों के लिए होता है और इसके अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव, चुने हुए सदस्य साथ करते हैं। इसके अलावा अन्य सभी पंचायत समितियों को देखने के लिए एक सरपंच समिति भी होती है।लगभग 5000 की आबादी पर निर्धारित प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से पंचायत समिति के लिए एक प्रतिनिधित्व पंचायत समिति सदस्य के रूप में मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
पंचायत समिति में प्रादेषिक निर्वाचन क्षेत्र से सीधे चुनकर आये हुए सदस्यों के अतिरिक्त और निम्न सदस्य होते हैं: -
संबंधित प्रखंड या इसके निर्वाचित क्षेत्र का अंशात: या पूर्णत: प्रतिनिधित्व करने वाला लोक सभा और विधान सभा के सदस्य;
राज्य सभा और विधान परिषद के वे सदस्य जो पंचायत समिति क्षेत्र (प्रखंड) के अंतरर्गत निर्वाचक के रूप में पंजीकृत हैं;
पंचायत समिति क्षेत्र (प्रखंड) में पड़ने वाली सभी ग्राम पंचायत के मुखिया;
पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी होता है।
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प्रमुख और उप प्रमुख का निर्वाचन
पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने बीच से दो सदस्यो को प्रमुख और उप-प्रमुख के रूप में चुनेंगे। यदि प्रमुख और उप प्रमुख के पद का कोई कारण से बाद में खाली हो जाएं तो पुन: अपने में से प्रमुख और उप-प्रमुख को चुनेंगे।शपथ ग्रहण
पंचायत समिति के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों को पारंडल दंडाधिकारी शपथ ग्रहण करायेंगे। निर्वाचित प्रमुख और उप-प्रमुख को भी पहली बैठक में ही शपथ ग्रहण करवाई जाएगी। पहली बैठक की तिथि का निर्धारण और शीर्ष भी वही करेंगें।पहली बैठक के बाद की सभी पंचायत समिति की बैठक की शीर्ष प्रमुख और उनकी अनुपस्थिति में उप-प्रमुख करेंगे।
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प्रमुख / उप प्रमुख और अन्य सदस्य को मिलने वाले भत्ते
पंचायत समिति के प्रमुख / उपप्रमुख और अन्य सदस्य यथा निर्धारित बैठक शुल्क और भत्ता प्राप्त करते हैं। प्रमुख / उप-प्रमुख को मासिक भत्ता मिलता है।पंचायत समिति की बैठक
पंचायत समिति की साधारण बैठक दो महीने में कम से कम एक बार बुलाना आवश्यक है। इस बैठक की सूचना कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा पंचायत समिति के सभी सदस्यो को बैठक की तिथि, स्थान, और बैठक के लिए विषय सूची के साथ दस दिन पूर्व भेजनी होगी।पंचायत समिति की प्रत्येक बैठक साधारण: पंचायत समिति के मुख्यालय में की जाती हैं।
पंचायत समिति की बैठक के लिए कोरम पूरा होना चाहिए ।यह कोरम कुल सदस्यों की संख्या के आधे सदस्यों की उपस्थिति से पूरा होगा। बैठक में कोरम पूरा नहीं होने पर बैठक दुवारा वुलाने का प्रावधान है। दुबारा बुलाई गई बैठक में कुल सदस्यों की संख्या के पॉचवे भाग, यानि 20 प्रतिशत की उपस्थिति आवश्यक हैं।
पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता प्रमुख और उनकी अनुपस्थिति में उप प्रमुख करता है। यदि प्रमुख / उप प्रमुख दोनो अनुपस्थित हो तो उपस्थित सदस्यों के बीच से एक सदस्य का चयन शीर्ष के लिए किया जाता हैं।
साधारण बैठक में सभी विषयों का निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से होता हैं । किसी भी विषय पर मत विभाजन की स्थिति में बल्ले के द्वारा निर्णय किया जायगा। शीर्ष करने वाला सदस्य चाहे तो मतदान में वे मतो की संख्या घोषित होने से पहले भाग ले सकते है। मत बराबर होने की दशा में वे अपना निर्णायक मत देंगे।
पंचायत समिति की बैठक में विचारार्थ आये हुए मामले पर वह प्रमुख / उप प्रमुख / सदस्य बैठक में भाग नहीं लेगा जिससे प्रत्यक्ष रूप से वह मामला जुड़ा हो।
प्रत्येक बैठक की कार्यवाही का लिखित होना और उसपर अध्यक्ष का हस्ताक्षर होना आवश्यक है। कार्यवाही पंजी पंचायत समिति के कार्यालय में रखी गईगी। कार्यपालक पदाधिकारी पंजी का संरक्षक होगा।
पंचायत समिति की बैठक में सम्बंन्धित पदाधिकारी उपस्थित होते हैं जिन्हें समय से बैठक की सूचना दी जाती है।
पंचायत समिति के विभाग
पंचायत समिति में निम्नलिखित निम्नलिखित विभाग सर्वत्र पाए जाते हैं:प्रशासन
वित्त
लोक निर्माण कार्य (विशेष रूप से सरकते पानी और सड़कें)
कृषि
स्वास्थ्य
शिक्षा
समाज कल्याण
सूचना प्रौद्योगिकी
महिला और बाल विकास
पंचायत समिति में प्रत्येक विभाग का अपना एक अधिकारी होता है, ज्यादातर ये राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सरकारी कर्मचारी होते हैं जो अतिरिक्त कार्यभार के रूप में यह कार्य करते हैं लेकिन कभी-कभी अधिक राजस्व वाली पंचायत समिति में ये स्थानीय कर्मचारी भी हो सकते हैं। सरकार नियुक्त प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) इन अतिरिक्त कार्यभार अधिकारियों और पंचायत समिति का पर्यवेक्षक होता है और वास्तव में सभी कार्यों का प्रशासनिक मुखिया होता है।
पंचायत समिति के कार्य और दायित्व
केंद्र और राज्य सरकार और जिला परिषद द्वारा सौपे गये कार्य करना;सभी ग्राम पंचायत की वार्षिक योजनाओं पर विचार विमर्ष और स्वरबद्ध करना और स्वरूपित योजनाओं को जिला परिषद में प्रस्तुत करना;
पंचायत समिति का वार्षिक योजना बजट पेश करना;
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देना;
प्राकृतिक आपदाओं में प्रमुख को 25 हजार रूपया तक खर्च करने का अधिकार है;
कृषि और उद्यान की उन्नति और विकास करना, खेती के उन्नत तरीकेको का प्रचार प्रसार करना, किसानो के प्रसार को प्रभावित करना;
पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तर द्वारा तैयार किए गए सभी वित्तीय योजनाओं को अस्थाई करती है और उनकी वित्तीय स्वीकृति, समाज कल्याण और क्षेत्र विकास को ध्यान में रखते हुए लागू करवाती है और वित्त पोषण के लिए उनका क्रियाओं है।
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जल उपयोग और भूमि कर, पेशेवर कर, शराब कर और अन्य
आय सृजन कार्यक्रम
राज्य सरकार और स्थानीय जिला परिषद से सहायता अनुदान और ऋण
स्वैच्छिक योगदान
ज्यादातर पंचायत समितियों की आय का स्रोत राज्य सरकार द्वारा दिया गया अनुदान होता है। अन्य स्रोतों से पारम्परिक कार्यक्रम बहुत बड़ा राजस्व प्राप्त करने का स्रोत होता है। राजस्व करने वाली समझ ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति में साझा की जाती है।
पंचायत समिति की आय
पंचायत समिति की आय निम्नलिखित तीन स्रोतों से होती है:जल उपयोग और भूमि कर, पेशेवर कर, शराब कर और अन्य
आय सृजन कार्यक्रम
राज्य सरकार और स्थानीय जिला परिषद से सहायता अनुदान और ऋण
स्वैच्छिक योगदान
ज्यादातर पंचायत समितियों की आय का स्रोत राज्य सरकार द्वारा दिया गया अनुदान होता है। अन्य स्रोतों से पारम्परिक कार्यक्रम बहुत बड़ा राजस्व प्राप्त करने का स्रोत होता है। राजस्व करने वाली समझ ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति में साझा की जाती है।
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