Holi Special :- विभिन्न जगहों पर होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता हैं? - DailyNewshunt

News in Hindi,English,Health,Homemade Remedies, Education,Life Style and Spiritual View

Breaking

Featured

Monday, March 29, 2021

Holi Special :- विभिन्न जगहों पर होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता हैं?

  Holi Special :- विभिन्न जगहों पर  होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता हैं? 


  होली आई रे, आई रे, होली आई रे।


Holi Special :


  

फागुन माह में आने वाला होली का त्यौहार अपने साथ रंग, उमंग, खुशी, सुर-ताल सब कुछ लेकर आता है। इसके आने पर प्रकृति भी गुनगुनाने लगती है। होली का त्योहार होली के दिन से कई दिन पहले से ही मनाया जाता है। जगह जगह लोकगीतों के सुर ताल गुंजनें लगते हैं। होली त्यौहार की तैयारियां सभी घरों में महीनों पहले होने लगती है। चिप्स,पापड़,कचरी,मिठाईयां, नमकीन, गुजिया की तैयारी महिलाएं बहुत पहले से ही करना शुरु कर देती हैं।


मथुरा वृंदावन में


Holi Special :


  मथुरा वृंदावन में होली का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है क्योंकि यह श्री कृष्ण की जन्मभूमि है। जहां 16 कलाओं से परिपूर्ण श्री कृष्ण ने जीवन के हर रंग को दिखाया हर रस को जिया। यहां का कोई ऐसा घर द्वार नहीं है जहां उनकी यादें शेष ना हो।

  

 यहां होली की शुरुआत महिलाएं माघ पूर्णिमा से ही कर देती हैं जिसका सुरूर उन पर 40 दिन तक छाया रहता है। और रंग पंचमी बसंत पंचमी को रंगों की फुहार के साथ ही उतरता है।

  महिलाएं एवं पुरुष गायन में श्रृंगार रस के लोकगीत गाते है।

   'कान्हा के हाथ कनक पिचकारी, राधा के हाथ सोहे रंगों की थारी'। 

  जैसे लोक गीतों से माहौल भक्तिमय हो जाता हैं। 


रुहेलखंड में 

  

Holi Special :

रुहेलखंड महिलाएं अवधी और ब्रज की स्थानीय भाषा में लोकगीत गाती हैं। इन महिलाओं को भले ही सुर-ताल का ज्ञान ना हो मगर एक दूसरे को गुलाल लगाकर मस्ती में स्थानी लोकगीत को जब गाती है, तब होली का त्यौहार अपने अनूठे रंग पर हो जाता है।


 होली का त्यौहार बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गायन शुरू हो जाता है।


यह भी पढ़े :- होलाष्टक किसे कहते हैं ?यह कब होता हैं?


 उत्तर प्रदेश और बिहार में


 

Holi Special :


 उत्तर प्रदेश और बिहार में होलिका दहन के बाद फगुआ बनाया जाता है जिसमें महिलाएं एवं पुरुष रंगों के साथ मंडलियों में फागुन के गीत गाते हैं।


उत्तराखंड में 

 

उत्तराखंड में होली पूरे 3 महीने चलती है। कुमाऊनी होली के दो रूप हैं:-  बैठकी होली और खड़ी होली। बैठकी होली की शुरुआत किसी मंदिर के आंगन से पौष माह में होती है। इस पहले चरण के बाद होली बसंत पंचमी से दूसरे चरण और महाशिवरात्रि से तीसरे चरण में चलती है।

Holi Special :



यहां महिलाएं पहले चरण में भक्ति, दूसरे चरण में श्रृंगार और तीसरे चरण में राधा कृष्ण की ठिठोली के होली गीत गाती हैं। फाल्गुन एकादशी को देव मंदिर में चीर बंधन के बाद खड़ी होली की शुरुआत होती है जिसमें महिलाएं ढोलक और मंजीरे की ताल पर नाचती गाती हैं।  


होली का स्वाद


यूं तो होली का रंग सब पर होता है लेकिन इसी दिन स्वादिष्ट पकवानों के साथ गुजिया का प्रमुख स्थान रहता है। उत्तर भारत में महिलाएं तरह-तरह की गुजिया के साथ विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाती हैं। इस दिन कांजी के वड़े, दही वड़े खिलाने का भी रिवाज है जिन्हें महिलाएं घर पर ही बनाती हैं।


 होली की शाम को लोग नए कपड़े पहन कर एक दूसरे के घर होली मिलने जाते हैं तब उनका स्वागत इन्हीं चीजों से किया जाता है।

No comments:

Post a Comment

right column

bottom post