Holashtak, Holika dahan:- होलाष्टक क्या है? होलाष्टक में मंगल कार्य क्यों नहीं किए जाते?
स्नेह, प्रेम, सद्भाव और राग-रंग के त्यौहार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णमासी को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष रविवार 28 मार्च को होलिका दहन होगा और सोमवार 29 मार्च को रंग और गुलाल से होली खेली जाएगी।
होलाष्टक क्या है?
होली से 8 दिन पहले की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है।इस समय सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। होलाष्टक की अवधि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक होती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार होली से ठीक 8 दिन पहले फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से 8 दिन के लिए होलाष्टक का समय शुरू हो जाता है। जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस वर्ष 22 मार्च से होलाष्टक की अवधि शुरू हो रही है, जो होलिका दहन के बाद समाप्त हो जाएगी।
होलाष्टक में मंगल कार्य क्यों नहीं किए जाते?
धार्मिक और पौराणिक मान्यता है कि होलाष्टक के 8 दिन में अष्टमी से पूर्णमासी के दौरान और मंडल के आठ ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु उग्र रूप धारण कर लेते हैं। इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए 8 दिन तक शुभ कार्य जैसे- विवाह-नामकरण गृहप्रवेश, नया वाहन या संपत्ति खरीदी नहीं किए जाते हैं।
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माना जाता है कि होलाष्टक में शुभ कार्य करने से बनते कार्य में रुकावट को मानसिक और शारीरिक कष्ट धन की हानि, संतान से परेशानी हो सकती है। होलाष्टक में शुभ कार्य न करने के पीछे यह भी मान्यता है कि भगवान नारायण के परम भक्त प्रहलाद को बुआ होलिका के साथ अग्नि में बैठाने के आदेश के बाद धर्म प्रेमी लोगों में दुख व्याप्त होने से शुभ कार्य करना अशुभ माना गया।
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यह सर्वविदित है कि होलिका दहन में नारायण की कृपा से प्रहलाद सकुशल बच गए, होलिका भस्म हो गई, अर्थात बुराई का अंत हो गया और अच्छाई की जीत हुई।
होलाष्टक का कामदेव से भी है संबंध
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने जिस दिन कामदेव को क्रोध में आकर भस्म किया था उस दिन फागुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी, इसलिए तभी से होलाष्टक की शुरुआत मानी जाती है। एक मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण ने अष्टमी के दिन से ही गोपियों के साथ होली खेलना शुरू किया और लगातार आठ दिनों तक होली खेलने के बाद रंगों से सराबोर वस्त्रो को होलिका दहन के बाद अग्नि में समर्पित किया था।
पृथ्वी के चारो ओर नकारात्मक ऊर्जा का संचार
ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन महीन में होली के त्यौहार से कुछ दिन पहले सभी ग्रह नक्षत्र शुभ स्थिति में पहुंच जाते हैं, और पृथ्वी के चारों तरफ नकारात्मक ऊर्जा फैलने लगती है। इसलिए होलाष्टक आरंभ होने से लेकर इसके समाप्त होने तक कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
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