अधिकमास की पद्मिनी एकादशी व्रत क्या है?इसे करने से क्या लाभ होता है?What is Padmini Ekadashi fast? What is the benefit of doing it?
पद्मिनी एकादशी व्रत |
पद्मिनी एकादशी व्रत क्या है?इसे करने से क्या लाभ होता है? अधिक मास किसे कहते हैं? पद्मिनी एकादशी व्रत कथा क्या है? इन सब बातों की जानकारी हम इस लेख में प्राप्त करेंगे।
पद्मिनी एकादशी व्रत क्या है?इसे करने से क्या लाभ होता है?
हिंदू पंचांग के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत अधिक मास पर निर्भर करता है पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु को पद्मिनी एकादशी बहुत ही प्रिय है।इसलिए इस व्रत का पालन करने वाला विष्णु लोक को जाता है अर्थात मोक्ष को प्राप्त करता है तथा सभी प्रकार के यज्ञो,दान-पुण्य व्रतों और तपस्या का फल प्राप्त करता है।
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अधिक मास या मलमास किसे कहते हैं?
हिंदी महीनों के अनुसार प्रत्येक 3 साल में अधिक मास या मलमास आता है। साल में मौजूद सभी हिंदी महीनों के अपने अपने देवता है। लेकिन 3 साल बाद आने वाले इस अधिक मास का देवता बनना कोई भी स्वीकार नहीं कर रहा था।तब ऋषि मुनियों के अनुनय-विनय करने पर भगवान विष्णु इसके देवता बनने के लिए तैयार हुए। भगवान श्री विष्णुु को पुरषोत्तम नाम सेे भी जाना जाता हैं, इसलिए अधिक मास केे अधिपति बनने के कारण इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता।
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पद्मिनी एकादशी व्रत की क्या कथा है?
पद्मिनी एकादशी व्रत की कथा के अनुसार त्रेता युग में कीतृवीर्य नाम का एक पराक्रमी राजा था। उसकी कई रानियां थी। लेकिन किसी से भी राजा को संंतान का सुख प्राप्त नहीं थी। जिस कारण कीतृवीर्य अत्यन्त चिंतित रहता था। एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा अपने मन में लिए राजा अपनी रानियों के साथ तपस्या करने महल, राजपाट छोड़ कर निकल पड़े।
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हजारों वर्षों तक तपस्या करते हुए राजा के शरीर में सिर्फ हड्डियां ही शेष रह ग्ई परंतु उनकी तपस्या सफल नहीं हुई।रानियों ने जब यह देखा तो अत्यंत विचलित हो गई और उन्होंने देवी अनसूइया से इसका उपाय पूछा।
देवी अनसूइया ने अधिकमास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने को कहा। देवी अनसूइया के बताएं विधि विधान के अनुसार रानी ने पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति से एकादशी का व्रत रखा। रानी के पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति से एकादशी का व्रत रखने से भगवान श्री विष्णुु अत्यंत प्रभावित हुए और व्रत के पूर्ण होने पर रानी के समक्ष प्रकट हुए और रानी से वरदान मांगने के लिए कहा। तब रानी ने भगवान से विनती करते हुए कहा कि भगवान अगर आप मेरी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न हैं और मुझे वरदान देना चाहते हैं तो कृपा करके मेरे बदले मेरे पति को वरदान दीजिए। तब राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि आप मुझे ऐसा पुत्र देने का वरदान दीजिए, जो तीनों लोकों में आदरणीय हो। और आप के अतिरिक्त किसी से भी पराजित ना हो पाए।
भगवान श्री विष्णुु की कृपा से रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया। कालांतर में यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा बना और जिसने अपने साहस और पराक्रम से रावण को भी बंदी बना लिया था।कहते हैं कि श्री कृष्ण ने अर्जुन को पुरुषोत्तम एकादशी की व्रत की कथा सुना कर इसके महत्व से अवगत कराया था।
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अधिक मास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करना वर्जित हैं
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अधिक मास में किसी भी प्रकार के शुभ एवं मंगलकारी कार्य नहीं करना चाहिए। इस मास में पूजा-पाठ, दान पूण्य करना, श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन करनाा चाहिए क्योंकि इनका विशेष महत्व होता है और यह करने से कई गुुुना शुभ फल प्रााप्त होतााहैं ।
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