स्वास्थ्य बीमा नियम में 1 अक्टूबर 2020 से होने वाले बदलाव कौन से हैं? (What are the changes in health insurance rules from 1 October 2020)?
स्वास्थ्य बीमा नियम 1 अक्टूबर 2020 से बदल रहे हैं। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा ) ने इस इस संबंध में कुछ जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। इससे ना सिर्फ क्लेम का निपटान आसान हो जाएगा बल्कि स्वास्थ्य बीमा और भरोसेमंद और आसान हो जाएगा।
इससे अस्पताल का खर्च कम करने में भी मदद मिलेगी। बीमा नियामक की ओर से कुछ नियमों में बदलाव उस कटौती से जुड़े हैं जो बीमा कंपनियां क्लेम निपटाने के दौरान करती है।
नए नियम के तहत इन कंपनियों को इलाज के दौरान होने वाले खर्चों जैसे इलाज, दवा, कमरे का किराया और जांच को अलग-अलग स्पष्ट करना होगा। कंपनियां अगर इन खर्चों को स्पष्ट नहीं करती हैं तो इलाज के बाद वह क्लेम में कटौती नहीं कर पाएंगे।
यह भी पढ़े भारतीय जीवन बीमा निगम की जीवन अक्षय पॉलिसी
एचआईवी, जन्मजात रोग, मानसिक बीमारी और अवसाद पर भी कवर
स्वास्थ्य बीमा नियम के नए नियमों के तहत पॉलिसी में एचआईवी, एड्स, उम्र संबंधी बीमारियां, जन्मजात बीमारियां Artificial Life Maintenance, मानसिक बीमारी, तनाव और अवसाद के इलाज खर्च पर भी कवर मिलेगा।
नए निर्देशों में स्पष्ट है कि Pre Existing Diseases की परिभाषा को ग्राहक की जरूरतों के अनुसार बदलनी होगी पॉलिसी जारी करने से 48 महीने पहले डॉक्टर की बताई किसी भी बीमारी को Pre Existing Diseases माना जाएगा। साथ ही पॉलिसी जारी होने के 3 महीने के भीतर अगर किसी बीमारी के लक्षण सामने आते हैं तो उसे भी Pre Existing Diseases माना जाएगा। पॉलिसी में जो बीमारियां होंगी उसकी जानकारी ग्राहकों को पहले ही देनी होगी।
यह भी:- जाने उत्तर प्रदेश के नोएडा में बनने वाली फिल्म सिटी में क्या-क्या विशेषताएं होंगी?
बीमा धारक किस्तों में कर सकेंगे भुगतान
बीमा धारक अब किस्तों में भी स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान कर सकेंगे।यह किस्त मासिक, तिमाही और छमाही हो सकती है। प्रीमियम का भुगतान एकमुश्त करना है या किस्तों में इसे रिन्यूअल कराने से पहले ही बताना होगा। बाद में इसमें किसी तरह का बदलाव संभव नहीं होगा। किस्त भुगतान की सुविधा देने के लिए कंपनियां बाध्य नहीं है। आप की किस्त मासिक, तिमाही या छमाही होगी,यह कंपनियां ही तय करेंगी।
मोरटोरियम अवधि बाद अस्वीकार नहीं होंगे क्लेम
नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा ) के मुताबिक अगर पॉलिसी 8 साल पुरानी है और बीमा धारक इस दौरान लगातार प्रीमियम का भुगतान करता रहा है तो 8 साल के बाद बीमा कंपनियां क्लेम अस्वीकार नहीं कर सकेंगी। मतलब क्लेम को नौवी पॉलिसी वर्ष में खारिज नहीं किया जाएगा और कंपनियों को क्लेम देना ही होगा। 8 साल की अवधि को मोरटोरियम अवधि कहा जाता है।
जाने मानव शरीर में कौन से सात चक्र होते हैं और इनके सक्रिय होने पर क्या होता है?
महंगा हो सकता है स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम
स्वास्थ्य बीमा नियम के नए नियमों में इलाज के 12 आधुनिक तरीके शामिल किए गए हैं, जिन पर बीमा कंपनियों को कवर देने की आवश्यकता हैं। इन सभी बदलाव का असर स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर पड़ेगा और कंपनियां 1 अक्टूबर से नए उत्पादों का प्रीमियम 5 फ़ीसदी तक बढ़ा सकती हैं।
No comments:
Post a Comment