Social Media Fake message: सोशल मीडिया पर फर्जी मैसेज भेजने वालों पर नकेल कसेगी केंद्र सरकार
बीते एक वर्ष में सोशल मीडिया पर फर्जी संदेशों की वजह से विवाद पैदा हुए हैं। चाहे वह किसी टीवी सीरीज के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करना हो या झूठे वीडियो, फोटो संदेश फैलाकर दंगे करवाना या फिर किसी भी भ्रामक तथ्य के जरिए किसी भी व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाना। कुछ विवाद में यह प्लेटफॉर्म खुद हिस्सा रहे तो कुछ विवाद आम लोगों द्वारा इनके गलत इस्तेमाल से हुए। यह प्लेटफॉर्म बाद में माफी मांग कर, सामग्री हटाकर, नीतियां बदलकर बचते रहते हैं, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो जाता है। जो किसी भी देश और उसकी जनता के लिए खतरनाक होता है। इन्हीं सब विवादों और परेशानियों से बचने के लिए अब सरकार सोशल मीडिया कंपनियों पर नियंत्रण करने के लिए नए नियम लाने की तैयारी कर रही है।
सोशल मीडिया के किसी प्लेटफार्म पर कोई फर्जी संदेश किसने और कब चलाया, सरकार यह जान सकेगी। इस नियम से प्लेटफार्म और इंटरनेट के जरिए वीडियो सामग्री का प्रसारण कर रहे ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री पर तीन स्तर पर निगरानी रखी जाएगी।
नए नियमों के लागू होने के बाद 24 घंटे के अंदर विवादित कंटेंट हटाना होगा। साथ ही उसके मूल स्रोत से जुड़ी जानकारी जांच के लिए सरकार को देनी होगी। जांच या साइबर सिक्योरिटी घटना में 72 घंटे के अंदर जानकारी देनी होगी। अश्लील कंटेंट से जुड़ी पोस्ट को शिकायत के 1 दिन के अंदर हटाना होगा।
सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को बताया कि नए नियमों के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को देश में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा। यह व्यवस्था देश की एकता, अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा को चुनौती देने वाले कंटेंट के साथ सामाजिक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय संबंधों दुष्कर्म व यौन शोषण जैसे मामलों से जुड़े कंटेंट पर लागू होगी।
निर्देशों के मुताबिक फेसबुक, टि्वटर, गूगल, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसी ओटीटी ओटीटी कंपनियों को हर महीने शिकायतों और कार्यवाही का ब्यौरा सरकार को सौंपना होगा।
भारतीय कानूनी एजेंसियों की मदद के लिए भी अधिकारी तैनात करना होगा। कंपनियों को भारतीय कार्यालय का पता प्लेटफॉर्म पर देना होगा।
सोशल मीडिया कंपनियों उपभोक्ताओं को उनकी आपत्तिजनक पोस्ट हटाए जाने पर विस्तार से जानकारी देंगी। कार्यवाही को कानूनी चुनौती देने का अधिकार भी उपभोक्ताओं को दिया गया है।
प्रसाद ने कहा कि भारत में लोकतंत्र सरकार है। अतः भारत में प्रत्येक भारतीय को किसी नीति की आलोचना व उससे असहमति प्रकट करने का अधिकार है। लेकिन यदि वह इस अधिकार का गलत इस्तेमाल करते हैं तब उन्हें भारत के संविधान व कानून के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा।
कंपनियों को चीफ कंप्लायंस ऑफीसर व ग्रिवेंस रिड्रेसल ऑफीसर तैनात करने होंगे, जो भारतीय नागरिक होंगे।
सोशल मीडिया पर सरकार तीन स्तरीय निगरानी करेगी
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक टि्वटर व्हाट्सएप को अपना मॉडरेटर रखना होगा जो इनके जरिए फैलाई जा रही सामग्री के लिए जिम्मेदार होगा। अगर उनकी मॉडरेशन में गलती पाई गई तो सजा दी जा सकेगी।
सरकार दूसरे स्तर पर नियामक एजेंसी बनाएगी जिसमें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हो सकते हैं।
तीसरे स्तर पर सरकारी संस्थाएं होंगी जो इन प्लेटफार्म पर निगरानी रखेंगे और मामले सामने आने पर दोषी कंपनी को दंडित कर पाएंगे। उनकी सबसे अहम शक्ति सामग्री को ब्लॉक करने की होगी।
उनके आदेश पर कुछ कम मामलों में कंपनियों को 24 घंटे में और बाकियों में 15 दिन में कार्यवाही करनी होगी।
इस नियम की यह बात इस नियम में यह बात भी है कि फर्जी संदेशों को पकड़ने की शक्ति सरकारी एजेंसी को मिली है। अगर उन्हें लगता है कि कोई संदेश फर्जी है और जो लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है तो वह ऐसे संदेशों पर कंट्रोल कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह किसी तरह हो सकता है जिसे किसने शुरू किया यह टेलीकॉम कंपनियों के जरिए पकड़ा जा सकता है सोशल मीडिया कंपनियों को इसके लिए अपनी निजता नीति एवं end to end encryption के नियमों में कुछ ढ़़ील देनी पड़ सकती है।
नए नियम कब से लागू होंगे?
ओटीटी पर यह नियम तत्काल लागू होंगे सरकार ने कहा कि नए नियम ओटीटी और digital news पर उसी दिन से ही लागू हो जाएगी जिस दिन सरकार इस का नोटिफिकेशन जारी करेगी।
सोशल मीडिया कंपनियों को व्यवस्था बनाने के लिए 3 महीने दिए जाएंगे ताकि उन्हें अपनी प्रक्रिया सुधारने के लिए समय मिल सकें। यह समय पूरा होते ही यह दिशा निर्देश लागू हो जाएंगे।
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