Bank Privatisation:- जानिए किन 4 बैंकों का निजीकरण कर सकती है सरकार?
मोदी सरकार सरकारी खजाने को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए छोटे और मध्यम आकार के 4 बैंकों का सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण करने की तैयारी कर रही हैं।
अगले वित्त वर्ष के लिए पहली फरवरी को पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार अपने स्वामित्व वाले दो छोटे बैंकों व एक बीमा कंपनी का निजीकरण करने का लक्ष्य रख रही है।
इसमें सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जैसे:-
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र,
- बैंक ऑफ इंडिया,
- इंडियन ओवरसीज बैंक,
- सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया
का निजीकरण कर सकती है।
इसमें से 2 बैंकों के निजीकरण का काम अगले वित्त वर्ष से ही शुरू हो सकता है।
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हजारों कर्मचारियों और सैकडो़ शाखाओं के साथ इनका निजी करण करना आसान नहीं होगा। इससे इन बैंकों के कर्मचारियों की नौकरियों पर भी जोखिम बढ़ जाएगा। मोदी सरकार बैंकों की संख्या घटाने और क्षेत्र को बैड लोन से उबारने के लिए यह कदम उठाना चाहती है।
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एक अधिकारी ने बताया कि बैंकों के निजीकरण की शुरुआत छोटे और मध्यम आकार के बैंकों से की जाएगी। लेकिन बाद में कुछ बड़े बैंकोंकका भी निजीकरण किया जा सकता हैं।
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सरकार ने कहा हैं कि वह एसबीआई जैसी सबसे बड़े बैंक में अपनी हिस्सेदारी 50 फीसदी से ऊपर ही बनाए रखेगी। बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया अगले 5 से 6 महीने में शुरू हो जाएगी। अभी बैंक ऑफ इंडिया के साथ करीब 50 हजार कर्मचारी काम करते हैं। जबकि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 33 हजार कर्मचारी हैं। इसी तरह ओवरसीज बैंक में कर्मचारियों की संख्या 26 हजार है तो बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13हजार लोग काम करते हैं।
सबसे कम कर्मचारी संख्या वाले बैंक ऑफ महाराष्ट्र का निजीकरण आसान होगा और इसे सबसे पहले बेचा जा सकता है।
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