आयुष चिकित्सकों को सर्जरी एवं जटिल बीमारियों का उपचार करने की मिली संवैधानिक अनुमति जिसका IMA कर रही हैं विरोध आखिर क्यों?AYUSH doctors got constitutional permission to treat surgery and complicated diseases, which IMA is opposing, why? - DailyNewshunt

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Tuesday, December 15, 2020

आयुष चिकित्सकों को सर्जरी एवं जटिल बीमारियों का उपचार करने की मिली संवैधानिक अनुमति जिसका IMA कर रही हैं विरोध आखिर क्यों?AYUSH doctors got constitutional permission to treat surgery and complicated diseases, which IMA is opposing, why?

आयुष चिकित्सकों को सर्जरी एवं जटिल बीमारियों का उपचार करने की मिली संवैधानिक अनुमति जिसका IMA  कर रही हैं विरोध आखिर क्यों?AYUSH doctors got constitutional permission to treat surgery and complicated diseases, which IMA is opposing, why?



आयुष चिकित्सकों को सर्जरी एवं जटिल बीमारियों का उपचार करने की मिली संवैधानिक अनुमति जिसका IMA  कर रही हैं विरोध आखिर क्यों?AYUSH doctors got constitutional permission to treat surgery and complicated diseases, which IMA is opposing, why?



भारत सरकार ने 20 नवंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद (Ayurveda) को और बढ़ावा देने के लिए आयुष चिकित्सकों को सर्जरी एवं जटिल बीमारियों का उपचार करने की संवैधानिक अनुमति  देने का फैसला किया था।जिसके मुताबिक आयुर्वेद के डॉक्टर अब 58 तरह की सर्जरी कर सकते हैं।IMA ने इस फैसले पर विरोध दर्ज कराया है। यह विरोध अभी तक लगातार जारी है एलोपैथिक डॉक्टर इसका विरोध विभिन्न तरीकों से कर रहे हैं।  


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भारत में आयुर्वेद का इतिहास



भारत में आयुर्वेद का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। लगभग 2500 साल पहले जब दुनिया के कई देशों में स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं थी  उस समय से  हीं आयुर्वेद में  सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता (Sushruta Samhita) में सर्जरी के 100 से ज्यादा तरीके लिख दिए थे। महर्षि सुश्रुत को भारत में  सर्जरी का जनक माना जाता हैं। देश के एलोपैथिक चिकित्सक भी महर्षि सुश्रुत को ही सर्जरी का जनक मानते हैं।



नेशनल इंटेग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (NIMA) ने  फैसले का स्वागत किया

भारत सरकार द्वारा दिए गए इस फैसले का आयुष डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था नेशनल इंटेग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (NIMA) ने खुशी के साथ स्वागत किया और विरोध करने वाले संगठनों को जवाब देते हुए कहा कि आयुर्वेद में सर्जरी 2500 साल से पहले से मौजूद है जबकि एलोपैथी में सर्जरी को आये अभी सिर्फ दो-तीन सौ साल ही हुये हैं। चिकित्सा और तकनीक के क्षेत्र में किसी भी  संगठन का एकाधिकार तो हो ही नहीं सकता।

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एलोपैथिक डॉक्टरों का विरोध 


 यह फैसला आयुष चिकित्सकों में ख़ुशी लेकर आया पर इसे  एलोपैथिक डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का विरोध भी देखने को मिला।IMA ने एक बयान जारी करके अपना विरोध दर्ज कराया है और लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा हैं। 


आईएमए के विरोध जताते हुए कहा है कि CCIM खुद के प्राचीन लेखों से सर्जरी की अलग शिक्षण प्रक्रियाएं तैयार करें और सर्जरी के लिए आधुनिक तकनीकी उपकरणों एवं दवाइयों पर दावा न करें।वह अपनी तकनीक और दवाओं का प्रयोग  सर्जरी के लिए करें।


आयुष चिकित्सकों की मांग


आयुष चिकित्सकों को सर्जरी एवं जटिल बीमारियों का उपचार करने की संवैधानिक अनुमति  देने के फैसले के बाद होने वाले आईएमए के विरोध को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि यह कोई नया आदेश नहीं है। इसकी घोषणा साल 2016 में ही कर दी गई थी। और आयुर्वेदिक डॉक्टरों को मात्र 58 प्रकार की सर्जरी का ही अधिकार है।इस फैसले की मांग  पिछले कई वषों से आयुर्वेद चिकित्सक कर रहे थे। 



कौन सी सर्जरी आयुर्वेदिक डॉक्टरों कर सकते हैं ?



भारत सरकार ने आयुष चिकित्सकों को सर्जरी एवं जटिल बीमारियों का उपचार करने की संवैधानिक अनुमति  देते हुए 58 तरह की सर्जरी (Ayurvedic surgery) करने की इजाजत दी है।इसके अन्तर्गत हड्डी, आंखों , कान-गला और दांत, स्किन ग्राफ्टिंग, ट्यूमर, हाइड्रोसील, अल्सर, पेट की सर्जरी शामिल हैं।




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