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Saturday, October 17, 2020

TDS क्या हैं ? इससे संबंधित पूरी जानकारी ( All about TDS-Tax Deduction at Source )

TDS क्या हैं ? इससे संबंधित पूरी जानकारी (All about TDS-Tax Deduction at Source)





दोस्तों आप में से सभी का कभी ना कभी TDS अवश्य कटा होगा वह चाहे आपके Employer ने आपकी  सैलरी से deduct किया हो या बैंक ने आपकी FD (Fixed Deposit) से deduct किया हो।अधिकांश लोग TDS को एक अलग प्रकार का टैक्स मानते हैं। जबकि TDS कोई अलग tax नहीं है बल्कि यह Income tax का ही एक रूप है।

 इस लेख में हम टीडीएस केेेे बारे में पूरी जानकारी लेंगे।और इससे निम्नांकित विषय के बारे में जानकारी  प्राप्त करेंगे:- 
  • Assessment  Year
  • Form 16/16A
  • Form 26 AS
  • Self Assessment Tax
  • Income Tax Refund
  • Tax Deduction at Source

Assessment Year किसे कहते हैं ?


जब आप किसी फाइनैंशल ईयर में कोई आय प्राप्त करते हैं तब आपको उसके ऊपर इनकम टैक्स एक्ट  के अनुसार विशेष दर पर सरकार को टैक्स देना होता है। आपको यह टेक्स अगले वित्तीय वर्ष में देना होता है जिसे Assessment Year कहते हैं। इसके लिए आपको अपने आय का पूरा ब्यौरा देते हुए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है।
उदाहरण के तौर पर जो इनकम आपने सन 2016 - 17 में  प्राप्त की है उस पर आपको टैक्स वित्तीय वर्ष 2017 18 में देना होगा।


सेल्फ एसेसमेंट टैक्स  किसे कहते हैं ?


इस प्रकार जो इनकम टैक्स आप एसेसमेंट ईयर में अदा करते हैं उसे सेल्फ एसेसमेंट टैक्स कहते हैं।

ज्यादातर लोग अपने आय का ब्योरा पूर्ण रूप से नहीं देते थे। इस तरीके से वह टैक्स बचा लेते थे मतलब टैक्स की चोरी कर लेते है। इस प्रकार टैक्स विभाग ने कर एकत्र करने के  लिए कई नीतियाँ तथा विधियां बनाई हैं।

आय कर विभाग निम्न प्रकार के कर वसूल करता हैं।
TDS - Tax Deduction at Source
TCS-  Tax Collected at Source
Advance Tax
Self Assessments Tax

यह भी जाने:- 




 गिल्ट फंड क्या होते हैं?

TDS  क्या होता हैं?



TDS का पूरा नाम होता हैं Tax Deducted At Source यह कर आपके आय के स्रोत पर ही कर वसूल कर लिया जाता हैं।

सरकार ने यह नियम बनाया हैं  कि जब भी कभी कोई भुगतान करने वाला व्यक्ति किसी को भुगतान करता हैं  तो पहले उसे TDS काट कर बाकी रकम का भुगतान करना होगा।

सरकार ने  बैंक को यह जिम्मेदारी दी हैं कि जब भी वह 10 हजार रुपये से ज्यादा का भुगतान FD के ब्याज के रूप में करते हैं तो उन्हें TDS घटा कर बाकी रकम का ही भुगतान करना होगा।

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इस तरह जब भी किसी व्यक्ति को बैंक FD के ब्याज का भुगतान करती हैं तो बैंक TDS घटा कर भुगतान करती है।


TDS return किसे कहा जाता हैं ?


बैंक को ऑनलाइन Traces Portal पर उस व्यक्ति की जिसका TDS काटा गया हैं की पूरी जानकारी देनी होती हैं। जैसे उसे  कितना भुगतान किया गया, TDS कितना काटा गया , Pan no. , Tan no. आदि होते हैं। इसे TDS return कहा जाता हैं जो भुगतान कर्ता को प्रत्येक 3 माह पर करना होता हैं।

Traces Portal आयकर विभाग की एक site हैं जहाँ TDS से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई जाती हैं।
Traces Portal पर TDS return file होते ही यह जानकारी Form 16/16A,Form 26 AS में update हो जाती है।


Form 16 A क्या हैं ?


जिस व्यक्ति का TDS काटा गया हैं जब वह बैंक से  इस deduction का documentation  proof मांगता हैं तो उसे TDS certificate या Form 16 के  नाम से  जाना जाता हैं।

Form 16 A, interest income, rental income पर काटे गए TDS पर  issue होता  हैं। यह Quarterly issued होता है deductor के  द्वारा। इसे कहीं से डाउनलोड नहीं किया जा सकता हैं।

Form 16 क्या हैं ?

जब TDS deduction वेतन पर होता हैं तब उस deduction का documentation  proof को
Form 16 के नाम से जाना जाता हैं। यह annually issued होता है Employers के  द्वारा। यह कहीं से डाउनलोड नहीं किया जा सकता हैं।

TDS deduction किस पर लागू होता है?

On Salary :- यदि आपकी Salary taxable limit से  ऊपर हैं तो उस पर निर्धारित दर से  TDS deduct कर ही आपको Salary मिलेगी।
On Interest Payment :- जब बैंक आपको ब्याज देती हैं और वह 10,000 से अधिक तब बैंक 10% TDS deduction कर शेष राशि आपको दे देता हैं।

इन सबके अतिरिक्त निम्न पर भी TDS deduction होता है :-
Commission Income
Rental Income
Consultation Fees
Professional Fees


Form 26 AS क्या हैं ?


TDS का भुगतान चाहे form-16 से हो या Form 16 A यह सारे पेमेंट Form 26 AS में अपडेट होते हैं।आपका TDS deduction यदि Form 26 AS में दिखाई दे रहा है तभी आप TDS claim कर सकते हैं।Form 26 AS आप Income Tax की website से download कर सकते  हैं।


टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) किसे कहते हैं ?


टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) वह टैक्स होता है जो विक्रेता,वेंडर के  द्वारा दिया जाता हैं, लेकिन जिसे खरीदार से collect किया जाता है। आयकर अधिनियम की धारा 206C में सामान की एक विस्तृत सूची है जो इस उद्देश्य के लिए निर्दिष्ट की गई है।

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