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Tuesday, August 17, 2021

Nag Panchami:- नाग पंचमी कब, कहां, क्यों और कैसे मनाई जाती है?

 Nag Panchami:- नाग पंचमी कब, कहां, क्यों और कैसे मनाई जाती है?


Nag Panchami

भारत में नाग पंचमी हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले अनोखे त्योहारों में से एक है। यह त्योहार देश विदेश में रहने वाले हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। इस  त्योहार पर, लोग नागों या सांपों की पारंपरिक पूजा करते हैं।


नाग पंचमी कब मनाई जाती है?


नागा पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष, पंचमी के दिन मनाई जाती है।जो ज्यादातर जुलाई या अगस्त में आती है।


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नाग पंचमी की उत्पत्ति, इतिहास और महत्व


दुनिया में प्राचीन काल से विभिन्न प्रकार के संस्कृतियों में सांपों की पूजा की जाती है। सांपों को उनके जहरीले स्वभाव और जहर के कारण शक्तिशाली प्राणियों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भारत में नाग पंचमी या नाग पूजा सिंधु घाटी सभ्यता के समय से प्रचलित  है। उत्तर पूर्व भारत में रहने वाले नागा जनजाति के लोग इस त्योहार को विशेष रुप से मनाते हैं।

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नाग पंचमी से संबंधित पौराणिक कथा


महाभारत में, भारत के प्राचीन महाकाव्यों में से एक, राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय नागों की पूरी जाति को नष्ट करने के लिए एक यज्ञ करते हैं। इसका कारण यह था कि उनके पिता परीक्षित को तक्षक सांप ने काट लिया था जिस कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। इसका बदला लेने के लिए जन्मेजय नागों की जाति को नष्ट करने का प्रण करते हैं। परन्तु  प्रसिद्ध ऋषि अस्तिका, जनमजेय को यज्ञ करने से रोक कर सांपों को बचाने में सफल हो जाते हैं। जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया वह शुक्ल पक्ष पंचमी था। तभी से इस दि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा।


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कई हिंदू शास्त्रों और महाकाव्यों में सांप या नागा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसी किताबों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां हैं। एक और कहानी भगवान कृष्ण और नाग कालिया से जुड़ी है जहां कृष्ण यमुना नदी में कालिया से लड़ते हैं और अंत में कालिया को मनुष्यों को फिर से परेशान न करने के वादे के साथ माफ कर देते हैं। 



नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है


गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से भक्त का भाग्य और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।


नाग पंचमी कैसे मनाई जाती है?


नाग पंचमी पूजा हर साल जुलाई या अगस्त के महीने में होती है। चूंकि नाग पंचमी बारिश के मौसम में आता है, इसलिए पानी के कारण सांप अपने बिलों से बाहर निकल जाते है।


भगवान शिव  को सांप बहुत प्रिय हैं इसलिए पूरे भारत में लगभग सभी शिव मंदिरों में नाग पंचमी मनाई जाती है। देश में कई नाग मंदिर भी हैं जहां लोग इस दिन पूजा-अर्चना करने आते हैं।


गांव और खुले इलाके में जहां पर सांपों की बॉबी होती है वहां पर लोग जाकर इनकी पूजा अर्चना करते हैं और  दूध भी चढ़ाते हैं। क्योंकि भक्तों का मानना ​​है कि यह उनके परिवारों को सांप के काटने से सुरक्षित रखेगा।


कुछ समुदाय के लोग सांपों की मूर्तियों को घर में लाकर उनकी पूजा करते हैं। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। कुछ लोग नाग पंचमी के दिन मिट्टी खोदना और लोहे के काले बर्तनों का प्रयोग करना भी अशुभ मानते हैं।


नाग पंचमी कहां मनाई जाती है?


नाग पंचमी उत्सव महाराष्ट्र राज्य में प्रमुख रूप से देखा जा सकता है। मुंबई के पास बत्तीस शिराला गांव अपने नागा पंचमी समारोह के लिए प्रसिद्ध है। व्यापक नाग पंचमी उत्सव महाराष्ट्र के नागपुर जिले और उसके आसपास भी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा, नाग पंचमी के दौरान निम्नलिखित लोकप्रिय पूजा स्थल हैं:


मन्नारसला मंदिर, केरल - मंदिर के अंदर नाग देवताओं की 30,000 छवियों के साथ, मन्नारसला मंदिर केरल का सबसे बड़ा सांप मंदिर है।


नाग वासुकी मंदिर, प्रयागराज - नाग राजा वासुकी को समर्पित, नाग वासुकी मंदिर, नाग पंचमी पर भक्तों से भर जाता है।


वाराणसी, उत्तर प्रदेश - वाराणसी अपने अखाड़ों के लिए प्रसिद्ध है जहाँ नाग पंचमी के अवसर पर विशेष दंगल का आयोजन किया जाता है।


महाकालेश्वर, उज्जैन - उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के नागचंद्रेश्वर मंदिर में एक विशेष नाग पूजा का आयोजन किया जाता है, जो नाग पंचमी पर केवल 24 घंटे के लिए खुला रहता है।


मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार - मनसा देवी मंदिर सर्प देवी मनसा को समर्पित है और यहां नाग पंचमी का बड़ा आयोजन होता है।


भुजंगा नागा मंदिर, गुजरात - भुज के बाहरी इलाके में स्थित भुजंगा नागा मंदिर में नाग पूजा के लिए हजारों भक्त आते हैं।

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